कुछ अनंतिम इच्छाएं होती हैं
मेरी भी हैं।
किसी किताब को पढ़ते हुए
शब्दों के जंगल में
भटकते हुए
साँसे थम जाएं
यही सबसे बेहतर है
फरवरी की गुनगुनी धूप में
खेत की मेड़ पर लेटकर
पेड़-पौधों, फसलों, फूलों, चिड़ियों
और तितलियों से बतियाते हुए
हृदय धड़कना बंद कर दे
सब कुछ शांत हो जाए
इसी तरह की कुछ
अटपटी सी
अपनी कुछ
अनंतिम इच्छाएं हैं!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें