सच यही है
कि जन्म लेते ही शुरू हो जाता है
मरना
और इस ओर कोई ध्यान नहीं देता
जिंदगी में
मरने की बहुत सी क्रियाएँ
रोज घटित होती हैं
जीने के समानांतर
लेकिन हम दोनों में से किसी को भी
ठीक से नहीं देखते
होना तो यह चाहिए
कि जिस दिन
जीना कम
और मरना ज्यादा शुरू हो जाए
आदमी को उस दिन
सचमुच मर जाना चाहिए!