कोशिश
उमस भरे खाली दिनों को
उदासी से भरना
ठीक वैसा ही है
जैसे
यादों में झिलमिलाते
किसी खास चेहरे की
चमक को
सिगरेट के धुएं से ढँकना
यह जानते हुए भी
कि असंभव है ये सब
फिर भी कोशिश तो करते हैं हम
ऐसा करते हुए अक्सर हम
नम आँखों से गुनगुनाते हैं
और रूखे, बेजान शब्दों में रोते हैं।
- प्रेम नंदन
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