दुनिया की प्रत्येक चीज
संदेह से दूर नहीं
मैं और तुम
दोनों भी खड़े हैं
संदेह के आखिरी बिंदु पर
तुम मुझ देखो
संदेहास्पद नजरों से
मैं तुम्हें
कविता
संदेह के इन्हीं रास्तों पर
शब्दों की अविकल आवाजाही है
जीवन और मौत के बीच
संदेह का विस्तृत
व्यापार है कविता