शनिवार, 17 सितंबर 2022

जीवन

जीवन
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जीवन!
अपरिभाषित है सदियों से 
और शायद आगे भी सदियों तक
रहेगा परिभाषित

जीते हैं सभी जीवन 
और जीते-जीते एक दिन 
हो जाते हैं खत्म
फिर भी नहीं समझ पाते 
जीवन का अर्थ?

कोई भी दार्शनिक, संत, विचारक, कवि या लेखक 
नहीं दे पाया सटीक परिभाषा 
जिसमें पूर्णतया उद्भासित हो जीवन

जीवन किसी को लगता है 
अमृत का प्याला 
किसी को बिष का निवाला 
आखिर ये है क्या?

 अमृत का प्याला?
 या बिष का निवाला?

यह लगता है किसी को नश्वर
तो किसी को अविनाशी 
सचमुच यह है क्या ?
नश्वर?
या अविनाशी?

हजारों -हजार लोगों ने दी हैं 
और भी अनगिनत परिभाषाएं
जीवन की 
पर क्या सही हैं वे परिभाषाएं 
शायद ....हां 
शायद ....नहीं 

शायद इसीलिए अपरिभाषित है जीवन!

कविता

दुनिया की प्रत्येक चीज   संदेह से दूर नहीं मैं और तुम  दोनों भी खड़े हैं संदेह के आखिरी बिंदु पर तुम मुझ देखो संदेहास्पद नजरों से मैं तुम्हें...