शुक्रवार, 17 दिसंबर 2021

चिट्ठी

मैं लिखना चाहता था 
एक चिट्ठी 
तितलियों के नाम
जो पहुँच जाती अचानक गिलहरियों के पास 
और गिलहरियों बाँध देती उसे
गौरैया के पैरों में
जो उड़ते उड़ते एक दिन
पहुँच जाती तुम्हारे गाँव

लेकिन मैं ये सोचता ही रह गया
और तितलियाँ,
गिलहरियों
गैरिया
के साथ साथ
गायब हो गए हैं
 मेरी यादों में दर्ज सारे गाँव

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