मैं लिखना चाहता था
एक चिट्ठी
तितलियों के नाम
जो पहुँच जाती अचानक गिलहरियों के पास
और गिलहरियों बाँध देती उसे
गौरैया के पैरों में
जो उड़ते उड़ते एक दिन
पहुँच जाती तुम्हारे गाँव
लेकिन मैं ये सोचता ही रह गया
और तितलियाँ,
गिलहरियों
गैरिया
के साथ साथ
गायब हो गए हैं
मेरी यादों में दर्ज सारे गाँव
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